यानी शहरोज़ आपके लिए
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दादा हकीम फजीलत हुसैन फारसी में शायरी किया करते थे। बड़े चाचा असलम सादिपुरी उर्दू के उम्दा-उस्ताद शायर हुए। पिता हाजी सैयद मोहम्मद मुस्लिम को भी शायरी का शोक़ रहा.लेकिन अचानक क़लम रोक दी.बुजुर्गी में जूनून फिर हावी।बड़े भाई एजाज़ अख्तर ने हिन्दी में कवितायें लिखीं, पर प्रकाशन-चर्चा से परहेज़। अपनी उर्जा नाटी-मंचों में खपाया. मंझले भाई शाहबाज़ रिज़वी ने उर्दू में अच्छे अफसाने लिखे .प्रकाशित भी.फिलवक्त निष्क्रय .मंझली भाभी रूमाना रिज़वी को उर्दू-लेखन में रूचि।पत्नी इमाला ने छात्र-जीवन में बाल-कथाएँ लिखीं.सम्प्रति बाल-गोपाल के पोषण में व्यस्त. मेरी रचनाओं की पहली पाठक-समिक्षक।शेरघाटी में बज्मे-अदब तथा युवा शायर फर्दुल हसन और रायगढ़ में प्रगतिशील लेखक संघ तथा युवा लेखक हेमचन्द्र पांडे की प्रेरणा पल-पल साथ रही। छत्तीसगढ़ के वरिष्ठ पत्रकार गुरुदेव कश्यप और हिन्दी दैनिक जनसत्ता मेरे पत्रकारीय लेखन के प्रेरणा-पुंज आज भी हैं.किशोरवय में लिखी रचनाओं का परिमार्जन गुरुदेव पंडित नर्मदेश्वर पाठक (शेरघाटी) करते रहे।दिल्ली में विष्णुचंद्र शर्मा तथा उनकी पत्रिका सर्वनाम की सम्बद्धता ने लेखन के कई द्वार खोले। सादतपुर से बहुत कुछ सीखा।क़रीब डेढ़ दशक से अधीक समय गुज़रा हिन्दी पत्रकारिता और लेखन में सक्रिय।शहरोज़ कुमार, सैयद शहरोज़ कुमार, एस.कुमार ,सैयद एस क़मर, क़मर सादीपूरी और शहरोज़ के नाम से भी लेखन । १५ अक्टूबर, १९६७(सही १९६८) को मध्य-बिहार के शेरघाटी (गया) कस्बे में जन्म । शिक्षा स्नातक (वाणिज्य), स्नातकोत्तर (अंग्रेज़ी)_ गुरु घासीदास विश्वविद्यालय , बिलासपुर।और पत्रकारिता व जनसंसार जन-संचार में उपाधि -पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर ।भाषा-ज्ञान हिन्दी,उर्दू । अंग्रेज़ी , अरबी और फ़ारसी कामचलाऊ ।सक्रियता सामाजिक, सांस्क्रतिक व साहित्यिक गतिविधियों में।शेरघाटी में सक्रीय संस्था आह्वान और रायपुर की संस्था क़ओमी आवाज़ के संस्थापकों में ।रायगढ़ और शेरघाटी में अल्लामा इकबाल पुस्तकालय की स्थापना।N.S.S..में रहते सम्मान।S.F.I. रायगढ़ जिला इकाई का महासचिव और उपाध्यक्ष रहा.पत्रकारिता की शुरुआत रायगढ़-संदेश में समस्या-मूलक पत्रों से।कार्य-अनुभव दिल्ली और ग्वालियर के साप्ताहिकों नई ज़मीन और शिलालेख के लिए लेखन।रायपुर के दैनिकों समवेत-शिखर,अमृत-संदेश और देशबंधु में नोकरी।कथादेश,युद्धरत आम आदमी,सर्वनाम जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं और बाल-मासिक नई पौध में संपादन-सहयोग।दैनिक अमर उजाला और साप्ताहिक समय वार्ता तथा राजकमल,राजपाल और सरस्वती हाउस जैसे प्रकाशनों से सम्बद्ध रहे।नेशनल बुक ट्रस्ट,इंडिया की एक परियोजना पर कार्य।सानिध्य वरिष्ठ साहित्यकार विष्णु प्रभाकर और ख्यात आलोचक शिवदान सिंह चोहान के चंद माह सहायक। सृजन-प्रकाशन जनसत्ता, हिंदुस्तान,भास्कर,नवभारत,राष्ट्रिय सहारा,देशबंधु,प्रभात ख़बर ,अग्रदूत और रायगढ़-संदेश जैसे दैनिकों आउटलुक,आमंत्रण, नई ज़मीन,शिलालेख और हिन्दी-मेल जैसे साप्ताहिकों हंस,सर्वनाम,कथादेश,अलाव,वर्तमान साहित्य, संबोधन,समकालीन भारतीय साहित्य,अक्षर पर्व और सद्भावना-दर्पण जैसी साहित्यिक पत्रिकाओं बी.बी.सी.और रविवार जैसी वेब पत्रिकाओंमें लेख,आलेख.समाचार,रपट,विश्लेषण,अनुवाद,समीक्षा,कहानी और कविता प्रकाशित-प्रसारित।रेडियो और दूरदर्शन के लिए भी लेखन।पयामे-तालीम,शगुफ्ता और नई दुन्या जैसी उर्दू पत्र-पत्रिकाओं में भी प्रकाशन।अमृत-संदेश में मनन और सर्वनाम में इधर जो पढ़ा नाम का स्तम्भ ।सर्वनाम के युवा-कवितांक का संपादन-सहयोग।लगभग ५०० पुस्तकों का ब्लर्ब-लेखन कई पुस्तकों का आवरणकई पत्र-पत्रिकाओं में रेखांकनउर्फ़ इतिहास-कविता-संग्रहसाक्षात्कार:कैसे हों तैयार-करियर उर्दू के श्रेष्ट व्यंग्य पकिस्तान की शायरी (अनुवाद-संपादन)विष्णुचंद्र शर्मा की संस्मरणात्मक पुस्तक पीर परायी जाणे रे कश्मीर के शायर ओम् गर्याली की शायरी घुटन छत्तीसगढ़ के गीतकार रामगोपाल शुक्ल का गीत-संग्रह हीरा है तो दमकेगा ही का संपादनफायर वाटर टू गेदर -रामनारायण स्वामी से संवाद अन्यत्र आलोचक अजय तिवारी ने पुस्तक साहित्य का वर्तमान में बहैसियत कथाकार रेखांकित किया।कथाकार शैलेश मत्यानी ने पुस्तक किसे पता है राष्ट्रिय शर्म का मतलब में बहैसियत पत्रकारसंवाद किया .इटारसी की पत्रिका पुनश्च ने रचना-कर्म पर केद्रित पुस्तिका शिनाख्त का प्रकाशन किया।रचना-धर्म की चर्चा हिन्दी मोनोरमा इयर बुक में लगातार दो वर्ष
6 comments:
Yuwa Sahitkaar Ka Parichay Dain.
Sahroz Sea shurwat Ki Dhanyawad.
Yuwa Patrakar Kawi Shri shahroz ki Jiwni Daikh Kar Khushi Hui.
shukri ji aapka .i ll try 2 write some thing diffrnt
zarra nawazi aapki
Bahut achha laga yah parichay...aur bhi intezaar rahega!
sahity aur patrakarita ki dunya ka aik mahatwapurn naam hai shahroz ka, inke baare me padh kar acha laga. hausle se aur nirbhik ho kar kaam karte rahein, mera aashirwaad hain inhe. Dr Syed Ahmad Quadri
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